वाशिंटन: अमेरिकी राष्ट्रपति भवन व्हाइट हाउस ने बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचारों को लेकर कड़ा रुख अपनाया है। राष्ट्रपति जो बाइडन की सरकार ने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार और प्रशासन को स्पष्ट संदेश दिया है कि वहां अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए। व्हाइट हाउस के राष्ट्रीय सुरक्षा संचार सलाहकार जॉन किर्बी ने कहा कि बांग्लादेश में पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के निष्कासन के बाद स्थिति बिगड़ गई है और हिंदू अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमले चिंताजनक हैं। उन्होंने कहा कि इसके लिए जिम्मेदार लोगों को सजा मिलनी चाहिए। अमेरिकी प्रशासन ने बांग्लादेशी एजेंसियों के साथ मिलकर काम करने की बात भी कही ताकि वहां के अल्पसंख्यकों के लिए सुरक्षित माहौल तैयार किया जा सके।
भारतीय-अमेरिकियों का विरोध प्रदर्शन
पिछले कुछ हफ्तों में भारतीय-अमेरिकियों ने व्हाइट हाउस के सामने और अमेरिका के कई बड़े शहरों जैसे शिकागो, न्यूयॉर्क, डेट्रायट और ह्यूस्टन में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किए। इन प्रदर्शनों में बांग्लादेशी हिंदुओं के खिलाफ हो रही हिंसा और अत्याचारों को रोकने की मांग की गई। प्रदर्शनकारियों ने “हिंदुओं की रक्षा करो” और “हमें न्याय चाहिए” जैसे नारे लगाकर अमेरिकी प्रशासन का ध्यान खींचा। भारतीय-अमेरिकियों ने राष्ट्रपति जो बाइडन और संभावित ट्रंप प्रशासन से अपील की कि वे बांग्लादेश की नई सरकार पर दबाव डालें ताकि हिंदुओं की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।
सुर बदलने की वजह
व्हाइट हाउस का रुख बदलने के पीछे भारतीय-अमेरिकियों का विरोध और राजनीतिक दबाव मुख्य कारण माना जा रहा है। भारतीय-अमेरिकी कांग्रेस सदस्य राजा कृष्णमूर्ति ने इस मुद्दे को उठाने के लिए सीनेटर मार्को रुबियो से अपील की थी, जिसके बाद रुबियो ने इसे विदेशी मामलों की समिति में उठाया। इसके बाद व्हाइट हाउस ने बयान जारी कर अपनी चुप्पी तोड़ी। यह भी ध्यान देने योग्य है कि डोनाल्ड ट्रंप ने सीनेटर मार्को रुबियो को विदेश मंत्री के रूप में नामित किया था और ट्रंप लगातार बांग्लादेश में हिंदुओं के मुद्दे को प्रमुखता से उठाते रहे हैं।
विशेषज्ञों की राय
विदेश मामलों के विशेषज्ञ ब्रह्मा चेलानी ने कहा कि बांग्लादेश में अमेरिका समर्थित अंतरिम सरकार बनने के चार महीने बाद व्हाइट हाउस ने स्वीकार किया है कि वहां सुरक्षा की स्थिति खराब है। चेलानी के मुताबिक, बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचारों को रोकने के लिए अमेरिका का यह बयान महत्वपूर्ण है। अब यह देखना होगा कि बांग्लादेश की अंतरिम सरकार अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कितनी गंभीरता से कदम उठाती है। वहीं, भारतीय-अमेरिकी समुदाय का मानना है कि इस दिशा में अभी और ठोस कार्रवाई की जरूरत है।